मालदीव को मोदी से पंगा लेना पड़ा भारी जाने क्यों और कैसे?

दोस्तों कौन है वो देश जिसने भारत से पन्गा ले लिया है? किस तरह मदद की थी भारत ने इस देश की ? ऐसा क्या कहा है देश के मंत्रियो ने जिसे सुनकर भारत के लोग बर्दाश्त नहीं कर सके ?लोगो का गुस्सा देखते हुए देश के राष्ट्रपति ने कौन सा कदम उठाया है ? कौन कौन से एक्टर भारत के सपोर्ट में उतरे हुए है ? अगर आप भी जानना चाहते है इन सवालों के जवाब तो बने रहीए इस रिपोर्ट के साथ।

दोस्तों अगर हम वीकेंड पर कही घूमने का प्लान बनाते है तो हमारे दिमाग में सबसे पहला नाम मालदीव का ही आता है क्योंकि भाई ये है ही इतनी खूबसूरत जगह जहां हर साल बड़ी तादाद में लोग वाटर एक्टिविटीज का मज़ा लेने के लिए आते है, इसके अलावा वाटर  स्पोर्ट्स , नए नवेले हनीमून कपल्स और सबसे ज़्यादा सेलेबिरीटीस के लिए ये देश सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन माना जाता है, मालदीव श्रीलंका के दक्षिण में हिन्द महासागर में मौजूद खूबसूरत समुन्द्र तटों का एक शानदार वेकेशन स्पॉट है,अनूठे इतिहास , संस्कृति और परम्पराओ को जानने के लिए मालदीव एक बेहद ही ख़ास जगह है ।

जानिए मालदीव क्यों चर्चाओं का विषय बना हुआ है?

लेकिन इस वक़्त जो केंद्र शासित प्रदेश चर्चाओं का विषय बना हुआ है या कहे तो उसे घूमने के लिए बेस्ट बताया जा रहा है वो मालदीव नहीं बल्कि लक्षदीप है, जी हां लक्षदीप भारत के दक्षिण पश्चिम के अरब सागर में स्तिथ एक द्वीप समूह है जो कई सारे आइलैंड से घिरा हुआ है, ये भारत के साथ केंद्र शासित प्रदेश में भी शामिल है और  उनमे से सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है ,बता दे लक्षदीप का वातावरण बहुत ही सुहावना होता है, यहाँ पर गर्मी के मौसम में भी तापमान 35 डिग्री के करीब होता है इसीलिए ये लोगो के आनंद का बेहतरीन डेस्टिनेशन माना जाता है।

आपको जानकार हैरानी होगी की भारत की स्वतंत्रता से पहले लक्षद्वीप एक स्वतंत्र प्रदेश था लेकिन यहाँ पर ज़्यादातर मुस्लिम आबादी होने की वजह से पकिस्तान ने इसको अपने कब्ज़े में करना चाहा पर उस वक़्त सरदार भल्लव भाई पटेल और भारतीय सैनिको ने पकिस्तान की इस कोशिश को नाकामयाब बना दिया था और इसी वजह से भारत सरकार ने साल 1956 को वहा  के सभी दीपो को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया, जिनको लक्षदीप नाम दिया गया । वैसे तो मालदीव और लक्षद्वीप दोनों का ही नीला समुन्द्र आस पास का वातावरण सभी कुछ दिलकश है लेकिन बस फर्क इतना है की लोग छुट्टिया मनाने के लिए मालदीव ज़्यादा जाते है जबकि लक्षद्वीप अभी पर्यटन के नक्शे में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहा है ।

लेकिन शायद लक्षदीप की ये कोशिश अब जल्द ही पूरी होने वाली है क्योंकि भारत देश के PM  नरेंद्र मोदी ने सभी को मालदीव की जगह लक्षदीप जाने के लिए कहा है, दरअसल पीएम PM मोदी की लक्षद्वीप की यात्रा की काफी चर्चाएं हो रही हैं. उन्होंने 4 जनवरी को सोशल मीडिया पर अपनी कई तस्वीरें शेयर की जिसमे वो अपने नए एडवेंचर का आन्नद उठा रहे है।

पीएम मोदी की पसंद लक्षद्वीप ही क्यों मालदीव क्यों नहीं ?

साथ ही पीएम मोदी ने स्नॉर्कलिंग की अपनी तस्वीरें शेयर करते हुए भारतीयों से लक्षद्वीप घूमने जाने की अपील की. उन्होंने कहा जो लोग एडवेंचर पसंद करते हैं, उनकी लिस्ट में लक्षद्वीप टॉप पर होना चाहिए. लेकिन ये बात कुछ चीन की तरफ झुके हुए मालदीव को पसंद नहीं आयी है, उन्हें लगा की पीएम मोदी का   जाना भारत से मालदीव जाने वाले टूरिस्ट को डायवर्ट कर सकता है क्योंकि मालदीव का रोज़गार सबसे ज़्यादा भारतीयों से ही चलता है, पर सवाल ये उठता है की आखिर PM ने ऐसा क्यों किया ? उन्होंने लक्षदीप को प्रमोट क्यों किया ?

दोस्तों मालदीव में जब से मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, तब से भारत के साथ रिश्तों में तल्खी आ रही है. मुइज्जू कई मौकों पर भारत विरोधी बयान दे चुके हैं. उन्होंने गद्दी संभालने से पहले अपने भाषण अभियान में कहा था की जिस दिन वो गद्दी पर बैठेंगे, उसी दिन वो मालदीव से भारतीय सैनिको को हटाना शुरू कर देंगे लेकिन उनके इस ब्यान के खिलाफ भारत ने एक शब्द नहीं कहा, फिर दुबारा उन्होंने इसे दोहराते हुए कहा की भारत के हर सैनिक को मालदीव से चले जाना चाहिए, मुइज्जू ने अपना चुनाव ‘इंडिया आउट’ कैंपेन पर लड़ा था. मुइज्जू को 53% वोट मिले थे. जबकि इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 46% वोट हासिल हुए थे ।

अब एक बार फिर मुइज्जु ने भारत को निशाना बनाते हुए एक इंटरव्यू में कहा है की उन्हें मालदीव की ज़मीन पर कोई भी विदेशी सैनिक नहीं चाहिए,उन्होंने मालदीव के लोगो से वादा किया था और वो इस वादे को ज़रूर पूरा करेंगे, साथ ही चुनाव जीतने के बाद पहली रैली में मुइज्जो ने कहा की मालदीव की स्वंत्रता सबसे ज़्यादा मायने रखती है, लोग नहीं चाहते की भारतीय सैनिक मालदीव में रहे, मुइज्जु के इन सब बयानों के बाद भी भारत ने कुछ नहीं कहा लेकिन PM मोदी ने लक्षदीप जाकर उसे घूमने के लिए बेस्ट पैलेस बताकर बिना कुछ कहे ही मुइज्जु सरकार की बोलती बंद कर दी है ।

मालदीव के कुछ मंत्री क्यों भड़के पीएम मोदी पर?

Kyon Bhadake Maaladveep Ke Kuchh Mantree Modee Par

इसी बात से भड़के मालदीव के कुछ मंत्रियो ने PM मोदी और भारत के लिए अपमानजनक शब्दों का  इस्तेमाल किया, मालदीव की युवा अधिकारिता उप मंत्री मरियम शिऊना ने PM मोदी को जोकर और कठपुतली तक कह दिया है, इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी करते हुए ये भी कहा की उन्हें भारतीय लोगो की कोई ज़रुरत नहीं है, लेकिन जब उनके इस पोस्ट पर विवाद बढ़ने लगा तो उन्होंने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया ,।

साथ ही मालदेव के मंत्री अब्दुल्ला माजिद ने अपने पोस्ट में लिखा की इनका रिसोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर ही लक्ष्दीप के पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर से बड़ा है, इसके अलावा मालदीव के एक नेता जाहिद रमीज़ ने अपने पोस्ट में कहा है की उनसे मुकाबला करने का विचार ही

भटकाने वाला है, वो हमारे द्वारा दी जाने वाली सर्विस कैसे दे सकते है वो इतने साफ़ कैसे हो सकते है की अपने कमरों से आने वाली बदबू को रोक सके ।

किस किस ने मालदीव जाने का विरोध जाहिर किया आईये जाने?

इनके अलावा भी मालदीव के कुछ नेताओ ने भारत के खिलाफ ज़हर उगला है, जिसके बाद तो भारत के लोगो ने बॉयकॉट मालदीव पोस्ट करके मालदीव के नेताओ को जवाब देना शुरू कर दिया है, इतना ही नहीं बॉलीवुड के कई बड़े सेलिब्रिटीज भी मालदीव के नेताओ के खिलाफ मैदान में उतर आये है,इनमे सबसे पहला नाम है अक्षय कुमार का जिन्होंने लोगो से लक्षदीप जाने की अपील की है,।

इसके बाद जॉन अब्राहम ने भी पोस्ट करते हुए लोगो को लक्षदीप जाने की ही सलाह दी है, बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान ने भी इस बात पर अपनी राय देते हुए लक्षदीप ही जाने के लिए कहा है,  इनके आलावा भी कई सेलिब्रिटीज ने मालदीव का विरोध ज़ाहिर किया है।

इतना ही नहीं भारत के लोगो ने हजारों की संख्या में होटल बुकिंग और फ्लाइट टिकट कैंसिल करने की भी बात बोल दी है, जिसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हो पाई है. वहीं सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि मालदीव के मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद हजारों की संख्या में होटल बुकिंग और फ्लाइट्स टिकट कैंसिल हुए हैं. अलग-अलग पोस्ट में कहा जा रहा है कि भारतीयों ने मालदीव में 8000 से ज्यादा होटल बुकिंग और 2500 फ्लाइट टिकट कैंसिल किए हैं. हालांकि इन आंकड़ों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है ।

इसके आलावा ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स’ का कहना है कि बायकॉट की मांग का असर 20 से 25 दिनों में साफ तौर पर दिखने लगेगा, एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मेहरा ने कहा, ‘अचानक से मालदीव को लेकर पर्यटकों की तरफ से कोई पूछताछ नहीं की जा रही है, इसमें गिरावट देखने को मिली है,  हमें उम्मीद है कि लोग अब मालदीव के लिए ट्रिप बुक नहीं करेंगे।

क्या कारण है मालदीव विरोध के जाने पूरी जानकारी ?

दोस्तों ऐसा नहीं है की भारत में ही मालदीव का विरोध किया जा रहा है, बल्कि मालदीव के नेताओ की सोशल मीडिया पर इन पोस्ट के बाद मालदीव में भी विरोध जारी है, मालदीव के पूर्व राष्टपति मोहम्मद नशीद ने PM मोदी की लक्षदीप यात्रा का मज़ाक उड़ाने वाली पोस्ट की निंदा की है, उन्होंने कहा है की मंत्री मरियम द्वारा इस्तेमाल की गयी भाषा काफी गलत थी, भारत मालदीव की सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक बेहतरीन सपोर्टर है।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा की मालदीव सरकार की अधिकारी मरियम ने एक मुख्य सहयोगी के नेता के लिए कितनी गलत भाषा का इस्तेमाल किया है जो मालदीव की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है, मुहम्मद मुइज्जु की सरकार को ऐसी पोस्ट करने से खुद को दूर रखना चाहिए और भारत का साथ देना चाहिए ।

इसके बाद रविवार को मालदीव सरकार भी सामने आयी और कहा की ये मंत्रियो की व्यक्तिगत राय है, इस बयान का मालदीव सरकार पक्ष नहीं ले रही है और न ही इसको बढ़ावा दे रही है, मालदीव सरकार के ब्यान में कहा गया है की सरकार का मानना है की बोलने और बात को सामने रखने के अधिकार का इस्तेमाल जिम्मेदार तरीके से किया जाना चाहिए, अपने शब्दों का इस्तेमाल इस तरह से किया जाना चाहिए जिससे नफरत न फैले और मालदीव के अंतर्राष्टीय सहयोगियों के साथ मज़बूत रिश्तो के बीच दरार न आये.

रविवार का दिन मालदीव की राजनीति के लिए अच्छा नहीं रहा। भारत विरोध के दम पर सत्ता में आए राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू को बैकफुट पर आना पड़ा कि उन्हें अपने ही तीन खास मंत्रियों को बर्खास्त करना पड़ गया। खास बात ये है कि अब तक मोइज्जू की चुनावी जीत में इन चेहरों ने अहम भूमिका निभाई थी, जिन्हें पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद बढ़े दबाव के बीच हटाना पड़ा। भारत सरकार नहीं, बल्कि भारतीयों से मिल रही तीखे रिएक्शन को देखते हुए मालदीव की सरकार ने ये कदम उठाया है।

मालदीव क्यों बना इतना बड़ा विवादित मुद्दा ?

भारत के नाराजगी जताने के बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय ने अपमानजनक टिप्पणी करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी जारी की थी। फिर एक घंटे बाद ही मरियम शिउना और मालशा शरीफ के साथ-साथ युवा मंत्रालय के एक और उप मंत्री महज़ूम माजिद को पद से हटा दिया गया। राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है ।

दोस्तों ज़ाहिर सी बात है की मालदीव सरकार के मंत्रियो की नासमझ नादानी से मालदीव को आने वाले वक़्त में कितनी परेशानी हो सकती है ,ये वहा का प्रशासन चला चुके लोगो को अच्छी तरह से पता है, क्योंकि मालदीव भारतीय टूरिस्ट के ज़रिय ही गुलज़ार है।

साल 2023 में 2 लाख से ज़्यादा भारतीय मालदीव गए है, मालदीव में सबसे ज़्यादा विदेशी टूरिस्ट भेजने वाले देशो में भारत का स्थान दुसरे नंबर पर आता है ,जो मंत्री आज भारत का सपोर्ट कर रहे है वो अच्छी तरह से जानते है की भारत ने अपने इस पडोसी देश की कितनी मदद की है।

भारत क्यों है मालदीव के लिए इतना खास पूरी जानकारी।

भारत हमेशा से ही मालदीव का साथ देता आया है और ये सिलसिला साल 1965 में मालदीव की आज़ादी के साथ ही शुरू हो गया था, भारत उन चुनिंदा देशो में से एक था जिसने मालदीव को सबसे पहले मान्यता दी ,फिर साल 2004 की सुनामी के बाद भी भारत ने ही सबसे पहले आगे आकर मालदीव को करीब 10 करोड़ रूपए दिए थे, यही नहीं भारत का स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ही मालदीव का बड़ा FINANCER  है, साथ ही भारत ने मालदीव की रक्षा ज़रूरते भी पूरी की है, साल 2010 और साल 2013 में भारत ने मालदीव को हेलीकाप्टर दिए, साल 2020 में छोटा एयरक्राफ्ट दिया ,साल 2018 से साल 2022 के बीच भारत ने मालदीव को करीब 1100 करोड़ रूपए की मदद की, इतना ही नहीं भारत ने मालदीव में रोड, ब्रिज , कॉलेज , मस्जिद , हॉस्पिटल  भी बनवाये है ।

 

दोस्तों आपको क्या लगता है क्या सभी को मालदीव का बॉयकॉट करना चाहिए या नहीं कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताइयेगा ।

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