27 साल पहले ऐसे भाषण देते थे मोदी जी
नरेंद्र मोदी!! भारतीय राजनीति का एक ऐसा नाम जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देती है, लेकिन दोस्तों आज मोदी जी जितने पॉपुलर हैं सालों पहले ये उतने ही ज्यादा निडर और जोशीले थे, जिन्होंने आतंकवादियों को खुलेआम ललकार दिया कि, अगर मां का दूध पिया है तो रोक कर दिखाओ, यकीन नहीं आता तो जरा इस वीडियो पर नजर डालिए।
दोस्तों ये तो एक छोटी सी चिंगारी है मोदी जी ने भारतीय राजनीति में ऐसी आग लगाई है कि उसकी चमक से पूरी दुनिया हैरान है, इतना ही नहीं!! अध्यात्म की तलाश में हिमालय गए नरेंद्र मोदी के गुरु ने उन्हें क्या बताया कि, उनका जीवन पलट गया? और मोदी जी ने राम लला के टेंट पर क्या प्रतिज्ञा ली थी? आज हम आपको सब कुछ बताएंगे चाय बेचने वाले छोटे नरेंद्र से लेकर भारत की राजनीति को पलट कर रख देने वाले मोदी जी तक का पूरा सफर आज की इस वीडियो में आपको जानने को मिलेगा, बस आप इस रिपोर्ट के साथ बने रहिए।
दोस्तों आतंकवाद और नरेंद्र मोदी के बीच 36 का आंकड़ा सालों से है, तभी तो साल 1992 में जब जम्मू कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था। आतंकवादी कश्मीर में लगातार हुड़दंग मचा रहे थे तभी बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने खुला ऐलान कर दिया कि, वो श्रीनगर के लाल चौक पर भारत का तिरंगा फहराएंगे और आतंकवादियों को उनकी औकात दिखाएंगे। और इसी के लिए कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक एकता यात्रा निकाली गई थी, लेकिन फिर आतंकवादियों ने भी साफ कर दिया कि इस रैली में शामिल होने वाले नेताओं को जिंदा नहीं छोड़ा जाएगा। इस तरह की धमकी सुनकर कई सारे नेताओं के कदम डगमगाने लगे, लेकिन तभी नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पहुंचने के ठीक 2 दिन पहले 24 जनवरी को ऐसा जोशीला भाषण दिया कि, आतंकवादियों की पतलून गीली हो गई थी।
मोदी जी ने साफ कहा था कि हमारी यात्रा ने आतंकवादियों की हालत खराब करके रख दी है तभी तो आतंकवादी जगह-जगह पर पोस्टर लगाकर कह रहे हैं कि, अगर किसी ने अपनी मां का दूध पिया है तो वो लाल चौक जाकर झंडा फहराए, फिर वो जिंदा वापस लौट कर नहीं जाएगा। इसी के जवाब में मोदी जी खुले आम कहते हैं कि आतंकवादियों कान खोलकर सुन लो, 26 जनवरी यानी की परसों में अभी चंद घंटे बाकी हैं। अब लाल चौक में ही फैसला होगा कि किसने अपनी मां का दूध पिया है और किसने नहीं! दोस्तों 1992 के दौर में आतंकवादियों को इस तरह की चुनौती देने की हिम्मत अगर किसी में थी तो वो नरेंद्र मोदी थे।
लाल चौक पर मोदी जी ने कब तिरंगा झण्डा फहराया ?
जहां 26 जनवरी को नरेंद्र मोदी मुरली मनोहर जोशी के साथ लाल चौक पर पहुंचे और तिरंगे को पूरी शान से फहराया। 17 मिनट तक चलने वाले इस पूरे प्रोग्राम में न केवल बड़े-बड़े नेता बल्कि सभी कार्यकर्ता सीना ताने शान से खड़े थे। जिसे देख कर आतंकवादी अच्छी तरह से समझ गए थे कि, ये लोग डरने वाले नहीं है। इसी से बौखला कर आतंकवादियों ने एक रॉकेट भी दागा था, जो लाल चौक से थोड़ी दूरी कर जाकर गिरा था, यहां तक की गोलीबारी भी करी गई, लेकिन मोदी जी का भाषण सुनकर कार्यकर्ताओं के अंदर एक अलग ही हौसला पैदा हो गया था, जो आतंकवादियों की इन हरकतों से डगमगाने वाला नहीं था।
ऐसा करना मोदी जी के लिए कोई पहली बार नहीं था, उन्होंने कई बार देश के दुश्मनों के साथ दो-दो हाथ किए हैं तभी तो ये कहा जाता है कि जब तक मोदी जी कुर्सी पर बैठे हैं आतंकवादी अपने घर में दुबक कर रहेंगे।
मोदी जी चाय कहा बेचते थे?
आजाद भारत में जन्मे देश के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 में गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर गांव में हुआ था। दामोदरदास मूलचंद मोदी और हीराबेन मोदी की तीसरी संतान के रूप में जन्मे नरेंद्र मोदी अपने 6 भाई बहनों में तीसरे नंबर पर थे। एक तो बड़ा परिवार ऊपर से आर्थिक हालत ठीक ना होने की वजह से मोदी जी अपने पिता के साथ वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे।
वैसे दोस्तों आपको बता दे नरेंद्र मोदी अभी से इतनी साहसी नहीं है बल्कि बचपन से ही इनके अंदर निडरता और साहस कूट-कूट कर भरी हुई है, तभी तो एक बार अपने स्कूल के पास की झील में से वो मगरमच्छ का बच्चा उठाकर घर ले आए, लेकिन फिर मां के समझाने पर उन्होंने उसे झील में छोड़ दिया।
पढ़ाई लिखाई की बात करें तो मोदी जी कुछ खास नहीं थे, लेकिन हां! इन्हें बचपन से ही स्कूल के नाटकों में हिस्सा लेना बहुत पसंद था, वो हमेशा देश के स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े कहानी किस्सों को लेकर काफी प्रभावित रहते थे। यहां तक की मोदी जी की इतिहास में इतनी रुचि थी कि वो लाइब्रेरी जाकर कई साल पुराने अखबार इतिहास से जुड़ी किताबें पढ़ते थे। नरेंद्र मोदी स्वामी विवेकानंद जी से काफी ज्यादा इंस्पायर्ड थे, उनसे जुड़ी सारी किताबें नरेंद्र मोदी ने बचपन में ही पढ़ रखी थी और अपने हिंदी टीचर चंद्रकांत दवे से प्रभावित होकर वो RSS में जाने लगे, जहां उनकी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसके लिए मोदी जी झाड़ू लगाने से लेकर कपड़े धुलने तक, का सारा काम करने लगे और वो व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि लक्ष्मण राव ईमानदार थे। इनकी मोदी जी पर सबसे अधिक छाप थी।
मोदी जी सेना में क्यो होना चाहते थे भर्ती ?
12 साल के नरेंद्र के अंदर देशभक्ति तब जाग उठी जब 1962 में भारत और चीन के बीच भयानक युद्ध छिड़ गया था, जिसमें भारत की हार ने मोदी जी को हिला कर रख दिया था, एक तो वो पहले से ही RSS से जुड़े हुए थे, ऊपर से देश के हालातो को देखकर मोदी जी ने सेना में भर्ती होने की ठान ली, आर्थिक हालातो में तंगी होने के कारण वो आर्मी स्कूल तो नहीं जा पाए, पर उन्होंने NCC जॉइन कर ली। और फिर 1965 में हुई इंडो-पाक वाॅर के दौरान उन्होंने भारतीय सैनिकों की काफी सेवा भी करी थी। वडनगर स्टेशन पर जब सैनिकों से भारी ट्रेन आती थी तो मोदी जी उन्हें चाय के साथ-साथ खाना पहुंचाने का काम भी करते थे।
मोदी जी ने कब छोड़ा पारिवारिक जीवन ?
और फिर स्वामी विवेकानंद को अपना प्रेरक मानने वाले नरेंद्र मोदी ने 1967 में अपना पारिवारिक जीवन त्याग दिया और दीक्षा लेने के लिए दीक्षा मठ जा पहुंचे, परंतु उन्हें दीक्षा नहीं मिली क्योंकि रामकृष्ण मिशन का सन्यासी बनने के लिए उनका ग्रेजुएट होना जरूरी था। पर मोदी जी ने हार नहीं मानी और अध्यात्म की तलाश में हिमालय जा पहुंचे, जहां उनके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से आज मोदी जी राजनीतिक दुनिया का चमकता सितारा बन चुके हैं।
कहा जाता है कि मोदी जी जब हिमालय में अध्यात्म की दुनिया में डूबे हुए थे, तो उन्हें एक साधू मिले जिनके शिष्य बनकर उन्होंने तपस्या करनी शुरू कर दी, यहां तक की भगवा वस्त्र पहने हाथों में कमंडल लिए उन्होंने ने कई राज्यों की यात्रा करनी शुरू कर दी, इसी बीच एक दिन इनके गुरुदेव ने इन्हें बुलाया और कहा कि नरेंद्र तुम कर क्या रहे हो? नरेंद्र कुछ समझ नहीं पा रहे थे, तभी गुरु जी कहते हैं कि तुम्हारे सामने दो रास्ते हैं, अगर तुम तपस्या करके तपस्वी जीवन जिओगे तो तुम एक बहुत बड़े ऋषि बन जाओगे, लेकिन मेरी मानो तो नियति ने तुम्हें दूसरी चीज के लिए चुना है जिसके लिए तुम्हें सांसारिक जीवन में आना पड़ेगा, जहां पर तुम अगर सच्चे दिल से मेहनत करोगे तो “राज ऋषि” कहलाओगे और इसीलिए नरेंद्र मोदी पहले केदारनाथ फिर दिल्ली, राजस्थान और राजकोट से होते हुए वडनगर में वापस आए और कुछ दिनों तक परिवार के साथ रहने के बाद अहमदाबाद आ गए।
मोदी जी कब BJP से जुड़े ?
यहां आने के बाद मोदी जी ने चाय की कैंटीन में काम करने के साथ-साथ RSS ज्वाइन कर लिया और एक प्रचारक के रूप में काम करना शुरू कर दिया, इसके बाद 1975 में जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू करी थी, तो उस वक्त मोदी जी सरदार के रूप में पुलिस से छुपकर सरकार की नीतियों का विरोध करते रहे, लंबे समय तक बड़ी-बड़ी राजनीतिक हस्तियों के साथ रैली करने के बाद साल 1985 में नरेंद्र मोदी ने बीजेपी में आधिकारिक तौर पर एंट्री ली और पार्टी के प्रचार प्रसार में जुट गए, उस वक्त मोदी जी के राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी थे, इन्हीं से मोदी जी ने राजनीति के सारे दावपेच सीखे हैं।
90 के दशक में मोदी जी ने लाल कृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या यात्रा में बड़ी भूमिका निभाई, उस वक्त अयोध्या में एक ऐसी घटना हुई जिसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा, असल में हुआ ये की 1992 में नरेंद्र मोदी अपने कुछ साथियों के साथ नंगे पांव अयोध्या में भगवान श्री राम के टेंट में पहुंचे, जहां भगवान राम को टेंट के नीचे इस तरह देख कर मोदी जी काफी भावुक हो गए और इस वक्त उन्होंने भगवान राम की सौगंध खाते हुए ये प्रतिज्ञा ली थी कि, मैं दोबारा आपके दर्शन करने तभी आऊंगा जब आप भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे, इस बात को लंबा वक्त हो गया, लोग भूलते चले गए लेकिन मोदी जी के दिमाग से ये बात नहीं निकली, तभी तो अयोध्या जन्मभूमि में भगवान श्री राम के मंदिर का उद्घाटन करके मोदी जी ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करी।
मोदी जी के क्या क्या शौक हैं ?
वैसे दोस्तों मोदी जी का पहनावा देखकर तो आपको समझ में आ ही गया होगा कि, वो लुक्स पर काफी ध्यान देते हैं और ऐसा बचपन से था, उन्हें साफ-सुथरे और अच्छे कपड़े पहनना पसंद है, मोदी जी खुद कहते हैं कि मुझे महंगे कपड़े नहीं पसंद हैं, लेकिन साफ सुथरे बनकर रहना उन्हें अच्छा लगता है। मोदी जी अपने लुक्स में भी तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट करते चले आ रहे हैं, तभी तो वो कभी बाल बढ़ा लेते थे, तो कभी मूंछें रखते थे, और इससे जुड़ी तस्वीरें खूब वायरल भी होती हैं।
दोस्तों कपड़ों के साथ-साथ मोदी जी को गुजराती में कविताएं लिखने का शौक है, इसके अलावा मोदी जी को फोटोग्राफी करना भी पसंद है, बहुत कम लोग यह बात जानते हैं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका से पब्लिक रिलेशन और इमेज मैनेजमेंट का 3 महीने का कोर्स कर चुके हैं, मोदी जी के चार भाई हैं और एक बहन है, उनकी पत्नी का नाम यशोदा बेन मोदी है जहां परिवार के कहने पर मोदी जी ने बहुत कम उम्र में यशोदा बेन से शादी कर ली थी लेकिन जब उन्होंने अपना घर छोड़ा तो घर के साथ-साथ उन्होंने अपना दांपत्य जीवन भी त्याग दिया था।
मोदी जी ने क्यो छोड़ा अपनी पत्नी को ?
मोदी जी का मानना है कि एक शादीशुदा व्यक्ति के मुकाबले अकेला इंसान भ्रष्टाचार और देश के दुश्मनों से बेहतर तरीके से लड़ सकता है क्योंकि जो इंसान घर ग्रस्ति में रहता है वो देश के बारे में नहीं सोच पाता है? और शायद यही वजह है कि मोदी जी को अब तक का सबसे बेहतर प्रधानमंत्री कहा जाता है क्योंकि ये पूरी तरह से अकेले रहते हैं और अपना पूरा समय देश को समर्पित कर देते हैं।
दोस्तों अगर देखा जाए तो मोदी जी का पूरा जीवन किसी मिसाल से कम नहीं है, एक चाय बेचने वाला लड़का देश चला रहा है, सच में बहुत बड़ी बात है और इसीलिए लोग मोदी जी को पसंद करें या ना करें लेकिन उनके काम करने के तरीके को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
दोस्तो तो आप पढ़ रहे थे खबर देख कि रिपोर्ट उम्मीद करता हूँ कि आपको इस रिपोर्ट से बेहद सटीक जानकारी मिली हो । ऐसी ओर भी खबरों के लिए आप Visit कर सकते हैं हमारे इसी वैबसाइट को जो कि हैं www.khabardekh.com